भारतीय समाज के जनांकिकी तत्वों की विवेचना कीजिए।
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Answer:
भारत की प्रमुख जनांकिकीय विशेषताएँ निम्न हैं-
Explanation:
(1) भारत में स्वतन्त्रता के बाद जन्म- दर और मृत्यु-दर दोनों में कमी होने के बाद भी हमारी जनसंख्या का आकार बहुत तेजी से बढ़ा है। इस समय भारत से अधिक जनसंख्या केवल चीन में है।
(2) भारतीय जनसंख्या में विभिन्न धर्मों और सम्प्रदायों से सम्बन्धित लोगों का समावेश है। अनेक जनजातियों के लोग परिवार नियोजन में विश्वास नहीं करते ।
(3) भारत में आज भी लगभग 72 प्रतिशत लोग गाँवों में निवास करते हैं। गाँवों मे साक्षरता की कमी होने के साथ ही संयुक्त परिवारों का प्रचलन अधिक है। इसके फलस्वरूप बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति ग्रामीणों में कोई जागरूकता नहीं है ।
(4) आज भी पुरुषों की तुलना में स्त्रियों का अनुपात कम होने और उन्हें स्वास्थ्य की कम सुविधाएँ मिलने के कारण सामाजिक संरचना में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की स्थिति आज भी कमजोर है।
Given: भारतीय समाज के जनांकिकी तत्वों की विवेचना कीजिए।
Answer :
इसमें मानव जन - संख्या से जुड़े तीन प्रमुख बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है -
1. जनसंख्या के आकार में परिवर्तन
जनसंख्या के आकार में परिवर्तन2. जनसंख्या की बनावट
जनसंख्या के आकार में परिवर्तन2. जनसंख्या की बनावट 3. जनसंख्या का वितरण
Explanation :
जनांकिकी के प्रकार : "जनांकिकी को प्रमुख रूप से दो रूपों में विभि विभक्त किया जा सकता हैं
1 ) आकारीय जनांकिकी :
जनांकिकी की इस शाखा के अन्तर्गत जनसंख्या के आकार अर्थात मात्रा का अध्ययन किया जाता है। जैसे- स्त्री-पुरुष अनुपात , आयु संरचना, जनसंख्या आदि
2 ) सामाजिक जनांकिकी :
सामाजिक जनांकिकी के अन्तर्गत जनसंख्या के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक पक्षों का अध्ययन किया जाता है। यह शाखा शिक्षा, परिवार जातीय संरचना गति शीलता आदि विषयों के अध्ययन से सम्बन्धीत है।
* जनांकिकीय संरचना:
किसी भी देश की जनसंख्या, उसका घनत्व, बनावट और गुण, जन्म-दर, मृत्यु दर , जीवन प्रत्याशा लिगांनुपात, आयु संरचना साक्षरता दर आदि को अध्ययन जनांकिकीय संरचना कहलाती है ।
इस सिद्धान्त के अनुसार, जब समाज ग्रामीण खेतिहर और अशिक्षित अवस्था से उन्नति करके नगरीय, औद्योगिक और साक्षर बनता है, तब किसी प्रदेश की जनसंख्या उच्च जन्म-दर और उच्च मृत्यु-दर से निम्न जन्म व निम्न मृत्यु दर में परिवर्तित होती हैं। ये सभी परिवर्तन अवस्थाओं में होते हैं। जिन्हें सामूहि रूप से जनांकिकीय चक्र के रूप में जाना जाता है।
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