Social Sciences, asked by rkguptarn4, 4 months ago

भारतीय समाज किस प्रकार का समाज है​

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Answered by keshatripathi16
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Answer:

भारतीय समाज दुनिया के सबसे जटिल समाजों में एक है. इसमें कई धर्म, जाति, भाषा, नस्ल के लोग बिलकुल अलग-अलग तरह के भौगोलिक भू-भाग में रहते हैं. उनकी संस्कृतियां अलग हैं, लोक-व्यवहार अलग हैं.

इतनी विभिन्नता वाले समाज को कैसे समझा जाये, यह एक जटिल सवाल है. यदि समझने का मकसद एक बेहतर समाज बनाने की कल्पना भी हो, तो प्रश्न और भी पेचीदा हो जाता है. वर्तमान स्वरूप में हमारे विश्वविद्यालयों में जिस समाजशास्त्र की पढ़ाई होती है, उससे सामाजिक परिवर्तन का शायद ही कोई वास्ता है. आम तौर पर हम पश्चिम से लिये हुए सिद्धांतों के माध्यम से ही अपने समाज को समझने की कोशिश करते हैं.

ऐसा लगता है कि साठ के दशक में समाजशास्त्र के स्वरूप में परिवर्तन के लिए जो संघर्ष शुरू हुआ था, उसे आगे बढ़ाने की जरूरत है.

खासकर तब, जब आज का ज्ञान समाज से ही कटता जा रहा है. कहना गलत नहीं होगा कि ऐसे में ज्ञान का सृजन लोककल्याण के लिए नहीं होकर केवल सरकार या पीयर ग्रुप या विद्वत मंडली को प्रभावित करने के लिए ही हो रहा है. इसलिए जनता पर इस तरह के ज्ञान का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. आनेवाले समय में शायद इस नये तरह के समाजशात्र की संभावना बन पायेगी और यह ज्ञान जनहित में काम आयेगा.

Answered by ridhimakh1219
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भारतीय समाज:

व्याख्या:

  • भारत सामाजिक जीवन के लगभग हर पहलू में आश्चर्यजनक विविधता

        प्रदान करता है। जातीय, भाषाई, क्षेत्रीय, आर्थिक, धार्मिक, वर्ग और जाति

        समूहों की विविधताएं भारतीय समाज को काटती हैं, जो कि विशाल

        शहरी-ग्रामीण अंतर और लिंग भेद के साथ भी व्याप्त है। उत्तर भारत और

        दक्षिण भारत के बीच मतभेद विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं,

        खासकर रिश्तेदारी और विवाह की व्यवस्था में। भारतीय समाज एक हद

        तक   बहुआयामी है  जो शायद दुनिया की किसी भी महान सभ्यता में अज्ञात

         है - यह किसी अन्य एकल राष्ट्र-राज्य की तुलना में यूरोप जितना विविध क्षेत्र

         है। समकालीन  भारतीय संस्कृति में और विविधता जोड़ने से विभिन्न क्षेत्रों

         और सामाजिक आर्थिक समूहों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित

         करने वाले परिवर्तनतेजी से हो रहे हैं। फिर भी, भारतीय जीवन

          की   जटिलताओं के बीच, व्यापक रूप से स्वीकृत सांस्कृतिक

          विषय सामाजिक सद्भाव और व्यवस्था को बढ़ाते हैं।

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