Hindi, asked by ambetkar2476, 11 months ago

भारतीय समाज में नारी की स्थिति। Essay on The Role of Women in Indian Society in Hindi

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Answered by Amitkumar8532
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Answer: भारत में महिलाओं की स्थिति पर निबंध 4 (250 शब्द)

Explanation : मध्यकालीन भारत में महिलाओं की स्थिति आर्थिक, सामाजिक और व्यावहारिक रूप से बहुत ख़राब थी। प्राचीन काल में महिला को देवी का दर्जा देने के बाद भी उनकी हालत किसी राजा-महारजा की दासी के समान थी। सैद्धांतिक रूप से भले ही महिला को समाज में ऊँचा स्थान दिया गया था पर व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो यह मात्र एक औपचारिकता से ज्यादा कुछ न था। महिलाओं को सामाजिक स्तर पर काम करने की मनाही थी। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उनकी राय लेना जरुरी नहीं माना जाता था। शादी से पहले लड़कियां को माँ-बाप के दबाव में जीना पड़ता था वहीँ शादी के बाद उन्हें अपने पति की इच्छा अनुसार चलना पड़ता था। मुग़ल साम्राज्य के दौरान तो हालात और भी ख़राब थे। महिलाओं को सती प्रथा और परदे में रहने जैसे बंधनों में बंधकर रहना पड़ता था।

मुगल काल के बाद ब्रिटिश राज में भी हालत नहीं सुधरे थे बल्कि उसके बाद तो व्यवस्था और भी बिगड़ गयी थी। इसके बाद महात्मा गाँधी ने बीड़ा उठाया और महिलाओं से आह्वान किया किया की वे भी आजादी के आन्दोलन में हिस्सा ले। इसके बाद ही सरोजिनी नायडू, विजय लक्ष्मी पंडित और अरुणा आसफ़ अली जैसी महान नारीयों का उदय हुआ जिन्होंने खुद महिलाओं की दशा सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही व्यापक स्तर पर महिलाओं के विकास पर जोर दिया जाने लगा। इंदिरा गाँधी खुद अपने आप में ही महिलाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा का स्रोत थी। उन्हीं की राह पे चलते हुए अनेको महिलाएं समाज में गौरवपूर्ण पदों तक पहुँची।

Answered by Stylishhh
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Answer :-

महिलाओं के व्यवहार, सोचने और करने का तरीका पुरुषों से पूरी तरह से अलग है इसलिए हम कह सकते हैं कि महिलाएं शारीरिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पुरुषों के बराबर नहीं हैं। लेकिन महिलाएं बच्चों की देखभाल और बच्चे के पालन-पोषण जैसे विभिन्न तरीकों से पुरुषों की तुलना में अधिक जिम्मेदार हैं। भारत में महिलाओं की जीवनशैली की परंपरा और संस्कृति बिना किसी बदलाव के कई वर्षों से सामान्य रूप से चली आ रही है, लेकिन महिलाओं के अधिकारों के मामले में यह अन्य देशों की तुलना में बहुत खराब और पिछड़ी हुई है। मुख्य प्रश्न यह है कि ऐसा क्यों है, क्या महिलाएं अपने पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार हैं या पुरुष या घर में बहुत सारी महिलाओं की जिम्मेदारियां हैं।

आधुनिक दुनिया में भी कई भारतीय समाजों में अधिकारों और बकाए के मामले में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अलग माना जाता है। विभिन्न दृष्टिकोणों में महिलाओं पर पुरुषों का वर्चस्व है। यह सोचने की बात है कि अगर महिलाओं को पुरुषों की तरह ही सभी सुविधाएं दी जाती हैं और उन्हें घर की सभी जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए मजबूर किया जाता है और पुरुषों की तरह सोचा जाता है, तो फिर महिलाओं के लिए जीवन के हर क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक रूप से पुरुषों के समान होना क्यों संभव नहीं है । पहले महिलाएं केवल घरेलू कामों तक ही सीमित थीं और पुरुषों की तरह सामाजिक कार्य करने के लिए उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन अब चीजें बदल रही हैं; महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हो रही हैं और अपने पूरे जीवन में पुरुषों के वर्चस्व वाले स्वभाव को अच्छी तरह से समझ रही हैं.

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