भारतीय व पश्चात्य सँस्कृति निबंध
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भारतीय संस्कृति का विकास प्रकृति के क्रोड में हुआ है जो की ऋषि – कृषि संस्कृति होने के कारण सर्वाधिक प्रमुख एवं पहली विशेषता कही जाती है | जबकि पाश्चात्य संस्कृति ईंट – पत्थरों के मकान को सर्वस्व मानती है |
भारतीय संस्कृति ऊध्वर्गामी एवं आंग्ल विधायिका है | पाश्चात्य संस्कृति यूरोपीय पानी मिट्टी को सर्वस्व मानती है |
भारतीय संस्कृति वस्तुतः कृषि और ऋषि परम्परा पर आधारित होने के कारण इसका विकास वनों को काटकर अन्न उपजाने वाले किसानों एवं वन प्रदेश के एकांत स्थलों पर साधनारत तपस्वियों द्वारा हुआ है | जबकि पाश्चात्य संस्कृति का विकास उन तत्वों को लेकर हुआ है जिन्हें भारतीय मनीषा सभ्यता के रूप में स्वीकार करती है |
प्राचीर इतिहास में झाककर देखें तो मिलता है कि आर्य प्रवासी जब पहले पहल इस देश में आए तो उन्होंने यहाँ की भूमि को वेस्तीर्ण वन – उपवनों की भूमि के रूप में पाया | इस भूमि की निषिद्ध वनों के हरित पल्लवित वृक्षों ने उन्हें तब प्रचंड गर्मी में शरण दी और तूफानी आँधियों से रक्षा करके अपने आचंल में आश्रय दिया जब वे इस भूमि को निवास योग्य बनाने का प्रयत्न कर रहें थे | ये रहा आपका उत्तर।
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भारतीय संस्कृति वस्तुतः कृषि और ऋषि परम्परा पर आधारित होने के कारण इसका विकास वनों को काटकर अन्न उपजाने वाले किसानों एवं वन प्रदेश के एकांत स्थलों पर साधनारत तपस्वियों द्वारा हुआ है | जबकि पाश्चात्य संस्कृति का विकास उन तत्वों को लेकर हुआ है जिन्हें भारतीय मनीषा सभ्यता के रूप में स्वीकार करती है |
प्राचीर इतिहास में झाककर देखें तो मिलता है कि आर्य प्रवासी जब पहले पहल इस देश में आए तो उन्होंने यहाँ की भूमि को वेस्तीर्ण वन – उपवनों की भूमि के रूप में पाया | इस भूमि की निषिद्ध वनों के हरित पल्लवित वृक्षों ने उन्हें तब प्रचंड गर्मी में शरण दी और तूफानी आँधियों से रक्षा करके अपने आचंल में आश्रय दिया जब वे इस भूमि को निवास योग्य बनाने का प्रयत्न कर रहें थे | ये रहा आपका उत्तर।
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