भारतीय वीर जवानों की जीवनी का सचित्र वर्णन करे।
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कुंवर सिंह (13 नवंबर 1777 - 26 अप्रैल 1858) सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही और महानायक थे।[1] अन्याय विरोधी व स्वतंत्रता प्रेमी बाबू कुंवर सिंह कुशल सेना नायक थे। इनको 80 वर्ष की उम्र में भी लड़ने तथा विजय हासिल करने के लिए जाना जाता है।
वीर कुंवर सिंह का जन्म 13 नवंबर 1777 को [[बिहारके भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था। इनके पिता बाबू साहबजादा सिंह प्रसिद्ध शासक भोज के वंशजों में से थे। उनके माताजी का नाम पंचरत्न कुंवर था. उनके छोटे भाई अमर सिंह, दयालु सिंह और राजपति सिंह एवं इसी खानदान के बाबू उदवंत सिंह, उमराव सिंह तथा गजराज सिंह नामी जागीरदार रहे तथा अपनी आजादी कायम रखने के खातिर सदा लड़ते रहे।
वीर अब्दुल हमीद का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गाँव में १ जुलाई १९३३ में एक साधारण [[मोमीन ,rao परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम सकीना बेगम और पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था।
भारत-चीन युद्ध के दौरान अब्दुल हमीद की बटालियन सातवीं इंफैन्ट्री ब्रिगेड का हिस्सा थी जिसने ब्रिगेडियर जॉन दलवी के नेतृत्व में नमका-छू के युद्ध में पीपल्स लिबरेशन आर्मी से लोहा लिया। इस युद्ध में सेकेंड लेफ्टिनेंट जी.वी.पी.राव को मरणोपरांत अद्भुत शौर्य और वीरता के प्रदर्शन के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। अब्दुल हमीद के सम्मान से पहले इस बटालियन को भारत की स्वतंत्रता के पश्चात मिलने यह सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार था।
उन्होंने अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, महान स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। झाबुआ जिले में भील बालकों के साथ खेलते हुए चन्द्रशेखर आजाद ने धर्नुविद्या सीख ली थी और निशानेबाजी में वे अच्छी तरह पारंगत थे। 14 वर्ष की आयु में चन्द्रशेखर तिवारी ने बनारस में एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की।
मंगल पांडे 1857 की क्रांति के महानायक थे। ये वीर पुरुष आज़ादी के लिये हंसते-हंसते फ़ंासी पर लटक गये। इनके जन्म स्थान को लेकर शुरू से ही वैचारिक मतभेद हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इनका जन्म जुलाई 1827 में उत्तर प्रदेश (बालिया) जिले के सरयूपारी (कान्यकुब्ज) ब्राह्मण परिवार में हुआ। कुछ इतिहासकार अकबरपुर को इनका जन्म स्थल मानते हैं। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे था जो कि भूमिहार ब्राह्मण थे।
बड़े होकर वे कलकत्ता के बैऱकपुर की नेटिव इनफ़ेन्ट्री में सिपाही के पद पर नियुक्त हुए। वहां से 1849 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए। उस समय इनकी आयु 22 साल की थी। मंगल पांडे शुरू से ही स्वतंत्रता प्रिय व धर्मपरायण व्यक्ति थे। वे इनकी रक्षा के लिये अपनी जान भी देने के लिये तैयार रहते थे।
बहादुर शाह जफ़र का जन्म 24 अक्टूबर, 1775 कोदिल्ली में हुआ था। इनकी माता का नाम लाल बाई व पिता का नाम अकबर शाह ( द्वितीय ) था। 1837 को ये सिंहासन पर बैठे। ये मुगलों के अंतिम सम्राट थे। जब ये गद्दी पर बैठे उस समय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का राज था। इनको शायरी बेहद पसंद थी। ये उर्दू के जाने माने शायर थे व इनके दरबार में भी कई बडे़ शायरों को आश्रय दिया जाता था।
बहादुर शाह के समय भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था। कंपनी अपने निजी हितों को ध्यान में रख कर नये-नये कानुन बनाती थी। जब इस कंपनी ने मुगल सम्राट की उपाधि को खत्म करने का निश्चय किया तो सबमें असंतोष की लहर दौड गई। सरकार ने बहादुर शाह के बडे़ पुत्र मिर्जा खां बख्त को युवराज बनाने से इंकार कर दिया जिससे वह इस सरकार के विरुद्ध हो गये। वहीं दूसरी और उन्होंने उसके छोटे पुत्र कोयाश को युवराज बना दिया।
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