भारतीय योजनाओं की चार उपलब्धता में बताइए
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भारतीय योजनाओं की चार उपलब्धता
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1: ) बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ – बालिका शिशु की देखभाल :: हमारा मंत्र होना चाहिए: 'बेटा बेटी एक समान' "आइए कन्या के जन्म का उत्सव मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि अपनी बेटी के जन्मोत्सव पर आप पांच पेड़ लगाएं।" - प्रधान मंत्री ने अपने गोद लिए गांव जयापुर के नागरिकों से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की शुरूआत प्रधान मंत्री ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा में की थी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से पूरे जीवन-काल में शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है और महिलाओं के सशक्तीकरण से जुड़े मुद्दों का समाधान होता है।
2: ) विकास के प्रति नवीन दृष्टिकोणः सांसद आदर्श ग्राम योजना :: प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के शुभारंभ पर अपना विचार साझा किया। 'हमारे लिए एक बड़ी समस्या रही है कि हमारा विकास आपूर्ति-उन्मुख रहा है। लखनउ, गांधी नगर अथवा दिल्ली में एक स्कीम तैयार की गई है। इसे ही आरंभ करने का प्रयास किया जा रहा है। हम आदर्श ग्राम के द्वारा इस माडल को आपूर्ति-उन्मुख की बजाए मांग-उन्मुख करना चाहते हैं। स्वयं ग्राम में ही इसकी इच्छा विकसित की जानी चाहिए। हमें केवल अपने विचार में परिवर्तन करना है। हमें लोगों के दिलों को जोड़ना है। सामान्यतः, सांसद राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं।
3:) नमामि गंगे :: उत्तर प्रदेश में गंगा के तट पर स्थित वाराणसी से संसद के लिए मई 2014 में निर्वाचित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।’ गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। 2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, “अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी।
4: ) मेक इन इंडिया :: विनिर्माण क्षेत्र का दिग्गज बनने की राह में भारत भारत में ना सिर्फ विनिर्माण बल्कि अन्य क्षेत्रों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम चार स्तंभों पर आधारित है। नई कार्यविधि: ‘मेक इन इंडिया’ का मानना है कि उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक सबसे महत्वपूर्ण बात ‘कारोबार करने की सुविधा’ है। कारोबारी माहौल को आसान बनाने के लिए कई इनीशिएटिव पहले ही शुरू किए जा चुके हैं। इसका उद्देश्य पूरे कारोबारी चक्र के दौरान इंडस्ट्री को डी-लाइसेंस और डी-रेग्युलेट करना है।