भारतीयता का समाजशास्त्र ।
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भारतीय समाजशास्त्रीय वांग्मय में समरसता के अध्ययन का सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों महत्व है। समरसता का समाजशास्त्र और इसमें अन्तर्निहित दर्शन और चिंतन भारतीय समाज जीवन का आदर्श भी है और यथार्थ भी। यह सामाजिक मूल्यों और मानवीय व्यवहार की व्याख्या करता है, इसलिए इसके अध्ययन का आधार दार्शनिक है और प्रयोग व्यवहारिक है।
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