'भारतमाता ग्रामवासिनी' किसकी रचना है।
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Answers
प्रश्न:-
" भारतमाता ग्रामवासिनी" किसकी रचना है ?
उत्तर :-
भारत माता ग्रामवासिनी सुमित्रानंदन पंत की रचना है।
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महत्वपूर्ण जानकारी -
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म अल्मोड़ा जिले के कासौनी नामक गांव में हुआ था। बाल्यकाल में अल्मोड़ा के पर्वतीय सौंदर्य अवलोकन का उन्हें पर्याप्त अवसर मिला शायद इसीलिए प्रकृति के प्रति उनका गहरा अनुराग हो गया। बचपन से ही वे एकांतप्रिय तथा शांतिप्रिय स्वभाव के थे तथा उन्होंने कालिदास, रविंद्र नाथ टैगोर, शंकराचार्य, गांधी, अरविंद, शैली कीट्स आदि के साहित्य का गहन अध्ययन किया। उनके कवि पर इन सभी का प्रभाव परिलक्षित होता है। 1921 में गांधीजी के आवाहन पर पंत जी ने अध्ययन छोड़ दिया। 1916 में उन्होंने "गिरजे का घंटा" शीर्षक कविता लिखी, शायद यह उनकी प्रथम कविता थी। तब से मृत्युपर्यंत में काव्य साधना में लीन रहे। उन्होंने नाटक भी लिखे, काव्य लोचना भी लिखी, किंतु वह पतंजी मूलतः कवि हैं। "उच्छवास", "ग्रंथि", "वीणा", "पल्लव" व "गुंजन" उनकी प्रारंभिक काव्य संग्रह है जिनकी कविताओं में पंतजी का प्रकृति-प्रेम अपने शिखर पर है।
प्रकृति की जितने मनोरम चित्रण कविता में पंत जी ने प्रस्तुत किए हैं, उन्हीं के कारण उन्हें "प्रकृति का सुकुमार"कवि कहा जाने लगा।
विषय एवं शैली की दृष्टि से पंतजी की काव्य साधना सदैव गतिशील रही है, किंतु पंतजी का असली कवि या तो प्रकृति चित्रण संबंधित कविता में पूरी कलात्मकता के साथ मुखरित है या सामान्य जन की पीड़ा को वाणी देने वाली कविताओं में। बाद में पंतजी कवि कम, चिंतक अधिक होते चले गए जिसकी कमजोर अभिव्यक्ति हम उनके महाकाव्य "लोकायतन" में देखते हैं। किंतु पंतजी की महत्ता प्रमुख छायावादी कवियों के रूप में अक्षुण्ण है तथा छायावादी युग में उन्होंने हिंदी कविता को नई अभिव्यक्ति-भंगिमा प्रदान की थी। पंतजी का देहावसान सन 1977 में हुआ था।