Sociology, asked by suyqsj9502, 11 months ago

भूस्थानीकरण क्या है? क्या यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई गई बाजार संबंधी रणनीति है अथवा वास्तव में कोई सांस्कृतिक संश्लेषण हो रहा है, चर्चा करें।

Answers

Answered by adhvaith2007
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Answer: भूस्थानीकरण का आशय ऐसी अवधारणा से है जिसके अंतर्गत स्थानीय संस्कृति की विशेषताएँ वैश्विक विशेषताओं के साथ मिश्रित हो जाती हैं[1] । हाल में भूस्थानीकरण की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस संदर्भ में यह भी दावा किया जा रहा है कि एक समय के बाद सभी संस्कृतियाँ घुल-मिल कर एक हो जाएंगी।

भूस्थानीकरण की प्रक्रिया को भूमंडलीकरण द्वारा उत्पन्न वाणिज्यिक गतिविधियों और भारतीय संस्कृति के खुलेपन के संदर्भ में देखा जा सकता है।

भूमंडलीकरण और उदारीकरण के परिणामस्वरूप जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विदेशों में स्थापित हुईं तो वे अपने उत्पादों/सेवाओं को भारतीय दृष्टिकोण से उत्पादित करने लगीं। उदाहरण के लिये विदेशी टी. वी. चैनलों यथा- एम. टी. वी., वी. चैनल, कार्टून नेटवर्क आदि ने भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर कार्यक्रमों का प्रसारण किया। विश्व प्रसिद्ध रेस्तरां मैक्डॉनाल्ड्स द्वारा भारत में मनाये जाने वाले त्योहारों के समय अपने उत्पादों को व्रत रखने वालों के अनुकूल बनाया जाना भी इसी प्रकार का एक उदाहरण है।

भारतीय संस्कृति की विशेषताओं में प्रमुख है उसका लचीला होना। बीते समय के कई ऐसे उदाहरण हैं जैसे- समाज सुधारकों द्वारा सती-प्रथा की समाप्ति, विधवा पुनर्विवाह आदि पहलों के माध्यम से रूढ़िवादी दृष्टिकोण के विरोध के साथ-साथ प्रगतिशीलता के प्रति आग्रह भी दिखाया गया था। वर्तमान में भी भारतीय संस्कृति के कई पक्षों यथा- भाषा, रहन-सहन, संगीत आदि में अन्य विदेशी संस्कृतियों के तत्त्वों का समावेश स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

अतः यह कहा जा सकता है कि भूस्थानीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति कोई स्वतः स्फूर्त घटना नहीं है बल्कि यह स्पष्ट रूप से वैश्वीकरण के वाणिज्यिक हितों को साधने और विदेशी फर्मों द्वारा स्थानीय बाज़ारों को अधिगृहीत करने का प्रयास है। इसके अतिरिक्त अल्प मात्रा में उपभोगमूलक संस्कृति का प्रभाव भी प्रदर्शित होता है।

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