भाषाई राज्य का निर्माण हमारे देश में लोकतांत्रिक राजनीति के लिए पहली बड़ी परीक्षा थी। दोनों ओर मिलान
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भाषाई आधार पर राज्य गठन हेतु बनी समितियों के सुझाव के बाद पूरे देश में राज्यों के पुनर्गठन को लेकर व्यापक जनांदोलन शुरू हो गए, जिनमें मद्रास प्रेसीडेंसी से अलग आंध्र राज्य बनाने की मांग सबसे प्रबल थी। अक्तूबर 1952 में पोट्टी श्रीरामलू की आमरण अनशन के चलते मृत्यु हो गई, इसके पश्चात् हुई हिंसा के कारण सरकार को 1953 में आंध्र प्रदेश के रूप में नया राज्य बनाना पड़ा। इसके बाद देश के अन्य क्षेत्रों में भी भाषाई आधार पर राज्यों की माँग जोर पकड़ने के कारण 1956 में ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ की स्थापना की गई। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 1956 में पारित राज्य पुर्नगठन अधिनियम द्वारा भाषायी आधार पर 14 राज्यों तथा 6 केंद्रशासित प्रदेशों का गठन हुआ।
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