भाषा की कोई चार विशेषताएं लिखिए?
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- हिंदी का उद्भव भाषाओं की जननी, देवभाषा संस्कृत से हुआ है जो आज भी तकनीकी क्षेत्र (कंप्यूटर आधारित प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बौद्धिकता इत्यादि) में प्रयोग के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानी जा रही है।
- हिंदी भाषा का व्याकरण संस्कृत से ही अनुप्राणित है। स्वाभाविक रूप से इसके व्याकरणिक नियम प्रायः अपवाद-रहित हैं; इसलिए स्पष्ट हैं और आसान हैं।
- हिंदी की वर्णमाला दुनिया की सर्वाधिक व्यवस्थित वर्णमाला है। इसमें स्वरों और व्यंजनों को अलग-अलग व्यवस्थित किया गया है। इसके अतिरिक्त सभी वर्णों को उनकी उच्चारण स्थानादि की विशेषताओं के आधार पर रखा गया है।
- हिंदी भाषा की लिपि (देवनागरी) विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है। इसमें प्रत्येक ध्वनि के लिए एक निश्चित लिपि चिह्न का प्रयोग होता है और एक लिपि चिह्न एक ही ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है।
- हिंदी की वर्णमाला ध्वन्यात्मक वर्णमाला है, जिसमें हर ध्वनि के लिए लिपि चिह्न हैं। इस प्रकार यह इतनी सामर्थ्यवान भाषा है कि हम जो कुछ भी बोल सकते हैं, वह सब, हिंदी में लिख भी सकते हैं।
- हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है जहाँ एक-एक वस्तु, कार्य, भाव आदि को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द विद्यमान हैं। हिंदी के शब्दकोश में शब्दों की संख्या 2.5 लाख से भी अधिक है और यह लगातार बढ़ती ही जा रही है।
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Answer: हिंदी का उद्भव भाषाओं की जननी, देवभाषा संस्कृत से हुआ है जो आज भी तकनीकी क्षेत्र (कंप्यूटर आधारित प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बौद्धिकता इत्यादि) में प्रयोग के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानी जा रही है।
हिंदी भाषा का व्याकरण संस्कृत से ही अनुप्राणित है। स्वाभाविक रूप से इसके व्याकरणिक नियम प्रायः अपवाद-रहित हैं; इसलिए स्पष्ट हैं और आसान हैं।
"हिंदी भाषा संस्कृत की बड़ी बेटी कही जाती है।"
हिंदी की वर्णमाला दुनिया की सर्वाधिक व्यवस्थित वर्णमाला है। इसमें स्वरों और व्यंजनों को अलग-अलग व्यवस्थित किया गया है। इसके अतिरिक्त सभी वर्णों को उनकी उच्चारण स्थानादि की विशेषताओं के आधार पर रखा गया है।
हिंदी भाषा की लिपि (देवनागरी) विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है। इसमें प्रत्येक ध्वनि के लिए एक निश्चित लिपि चिह्न का प्रयोग होता है और एक लिपि चिह्न एक ही ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है।
हिंदी की वर्णमाला ध्वन्यात्मक वर्णमाला है, जिसमें हर ध्वनि के लिए लिपि चिह्न हैं। इस प्रकार यह इतनी सामर्थ्यवान भाषा है कि हम जो कुछ भी बोल सकते हैं, वह सब, हिंदी में लिख भी सकते हैं।
हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है जहाँ एक-एक वस्तु, कार्य, भाव आदि को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द विद्यमान हैं। हिंदी के शब्दकोश में शब्दों की संख्या 2.5 लाख से भी अधिक है और यह लगातार बढ़ती ही जा रही है।
हिंदी भाषा की विशेषता ये भी है कि इसने अन्य भाषाओं के शब्दों को ग्रहण करने में कभी कोई संकोच नहीं किया। जब और जहाँ आवश्यकता हुई, हिंदी भाषा में नए शब्द शामिल होकर हिंदी के अपने हो गये और हिंदी की समृद्धि बढ़ती गई।
लिपट जाता हूँ मम्मी से औ मौसी मुस्कुराती है।
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ, हिन्दी मुस्कुराती है॥
हिंदी भाषा में जो लिखा जाता है वही (उसी रूप में) पढ़ा भी जाता है। इसमें गूँगे अक्षर (Silent letters) नहीं होते। अतः इसके लेखन और उच्चारण में स्पष्टता है।
हिंदी भाषा की एक विशेषता यह भी है कि इसमें निर्जीव वस्तुओं (संज्ञाओं) के लिए भी लिंग का निर्धारण होता है।
हिंदी एक व्यावहारिक भाषा है। इसमें अंग्रेजी की भाँति कई-कई रिश्तों के लिए एक ही शब्द से काम नहीं चलाया जाता। प्रत्येक संबंध के लिए अलग-अलग शब्द हैं।
हिंदी भारत की राजभाषा है।
हिंदी आज दुनिया की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है। बीबीसी की एक खबर के अनुसार इस समय विश्व में 54.5 करोड़ (545000000) हिंदी बोलने वाले हैं। गैर हिंदी भाषी देशों के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
हिंदी पूरे भारत और दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, मॉरीशस, सूरीनाम, फिज़ी, गुयाना, मलेशिया, त्रिनिनाड एवं टोबैगो, नेपाल आदि में बोली और समझी जाने वाली भाषा है।
प्रयोग की दृष्टि से भी हिंदी इतनी समृद्ध है कि इसकी पाँच उपभाषाएँ और कम से कम सोलह बोलियाँ प्रचलित हैं, जिनमें से कई बोलियों और उपभाषाओं में भी प्रचुर साहित्य उपलब्ध है।
हिंदी बहुत सरल और लचीली भाषा है, जिसे सीखने में विशेष कठिनाई नहीं होती।