Hindi, asked by kourmanmeet92, 1 year ago

भाषा के कितने भेद होते हैं​

Answers

Answered by meenuharishmey
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Answer:

1. मौखिक भाषा (Oral Language)

यह भाषा का मूल रूप है और सबसे प्राचीनतम है. मौखिक भाषा का जन्म मानव के जन्म के साथ ही हुआ है. मानव जन्म के साथ साथ ही बोलना शुरू कर देता है. जब श्रोता सामने होता है तब मौखिक भाषा का प्रयोग किया जाता है. जो मौखिक भाषा की आधारभूत इकाई होती है वो होती है “ध्वनि“. इन्ही ध्वनियो से शब्द बनते है जिनका वाक्यों में प्रयोग किया जाता है.

2. लिखित भाषा (Written Language)

जब श्रोता सामने न हो तो उस तक बात पहुँचाने के लिए मनुष्य को लिखित भाषा की आवश्यकता पड़ती है. लिखित भाषा को सिखने के लिए प्रयत्न और अभ्यास की जरूरत होती है. यह भाषा का स्थायी रूप है, जिससे हम अपने भावो और विचारों को आने वाली पीढियों के लिए सुरक्षित रख सकते है. इसके द्वारा हम ज्ञान का संचय करते है.

प्रत्येक व्यक्ति जन्म से ही अपनी मातृभाषा सीख लेता है. अशिक्षित लोग भी अनेक भाषाएँ बोल और समझ सकते है. भाषा का मूल और प्राचीन रूप मौखिक ही है. लिखित रूप बाद में विकसित हुआ है. इसलिए हम कह सकते है-  भाषा का मौखिक रूप प्रधान रूप है और लिखित रूप गौण है.

3. सांकेतिक भाषा (Sign Language)

जिन संकेतो के माध्यम से छोटे बच्चे या गूंगे लोग अपनी बात दुसरे को समझाते है तो इन संकेतो को सांकेतिक भाषा कहा जाता है.  इसका अध्ययन व्याकरण में नहीं किया जाता है.

उदाहरण- यातायात नियंत्रित करने वाली पुलिस, गूंगे बच्चों की वार्तालाप, छोटे बच्चों के इशा

Explanation:

Answered by syed2020ashaels
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भाषा अभिव्यक्ति का एक ऐसा समर्थ साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों तक पहुँचाता है और दूसरों के विचार जान सकता है।

मुख्य रूप से भाषा तीन प्रकार की होती है पर मुख्य दो हैं।

1. मौखिक भाषा - आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं।

2. लिखित भाषा - जब व्यक्ति लिखकर अपने विचार प्रकट करता है, तब उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं। जैसे - किसी दूर बैठे व्यक्ति को पत्र लिखकर अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा अपने विचार प्रकट करना ।

3.सांकेतिक भाषा: भाषा के जिस रुप से हम अपने विचारों एवं भावो को इशारो, विशिष्ट संकेत द्वारा प्रकट करते हैं और दूसरे के प्रभाव एवं विचारों को इशारों, विशिष्ट संकेत द्वारा समझते हैं उसे हम संकेतिक भाषा कहते हैंI

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