भाषा के मुख्य रूप से कितने भेद होते हैं
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भाषा के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं
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भाषा एक प्रणाली है. जिसके माध्यम से मनुष्य अपनी भावनाए, गुस्सा, नाराजगी, प्यार, उपकार, मोह, आदेश, शिष्टाचार, आज्ञा, ख़ुशी और अनेक मनोदशा को किसी अन्य व्यक्ति से व्यक्त करता है हम अपनी ख़ुशी और आनन्द व्यक्त करने के लिए हँसते है खुद के विरुद्ध किसी बात के लिए गुस्सा व्यक्त करते है. अपने दृढ़ संकल्प को दिखाने के लिए मुट्ठी बंद करते है वही किसी बात पर आश्चर्य होने पर अपनी भौहे ऊपर उठाते है ये सभी भाषा का ही रूप है|
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भाषा के मुख्य रूप से कितने भेद होते हैं
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भाषा के मुख्य रूप से कितने भेद होते हैं
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भाषा एक प्रणाली है जिसके माध्यम से मनुष्य अपनी भावनाए, गुस्सा, नाराजगी, प्यार, उपकार, मोह, आदेश, शिष्टाचार, आज्ञा, ख़ुशी और अनेक मनोदशा को किसी अन्य व्यक्ति से व्यक्त करता है हम अपनी ख़ुशी और आनन्द व्यक्त करने के लिए हँसते है. खुद के विरुद्ध किसी बात के लिए गुस्सा व्यक्त करते है अपने दृढ़ संकल्प को दिखाने के लिए मुट्ठी बंद करते है वही किसी बात पर आश्चर्य होने पर अपनी भौहे ऊपर उठाते है ये सभी भाषा का ही रूप है|
भाषा के तीन भेद होते हैं-
1. मौखिक भाषा- भाषा का जो रूप मुंह से बोला तथा कानों से सुना जाता है वह मौखिक भाषा कहलाती है. इसे कथित भाषा भी कहा जाता है.
उदाहरण- जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो उनमें विचारों का आदान-प्रदान मौखिक रूप से होता है. या जब आप किसी से मोबाइल पर बात करते हैं तो वहां मौखिक भाषा का प्रयोग होता है
2. लिखित भाषा - भाषा का जो रूप हाथों से लिखा तथा आंखों से देखा और पढ़ा जाता है लिखित भाषा कहलाती है. यही भाषा का वास्तविक रूप है.
लिखित भाषा से ज्ञान का संचय किया जाता है जिससे कोई भी जानकारी को लिखित रूप देकर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया जा सकता है|
3. सांकेतिक भाषा
जिस भाषा में केवल 'संकेतों अथवा चिन्हों' का प्रयोग करके दूसरे व्यक्ति को समझाया जाता है, वह सांकेतिक भाषा कहलाती है.
इस भाषा में बिना ध्वनि अंगों के प्रयोग के, शरीर के विभिन्न अंगों (हाथ, चेहरा, गर्दन आदि) के माध्यम से अपने विचारों को एक विशेष संकेतों के रूप में दूसरों को समझाया जाता है.
उदाहरण - प्राचीन काल में मानव अपने भाव तथा विचारों को प्रकट करने के लिए संकेतों का सहारा लेता था. जैसे हाथ के इशारे से आने या जाने का संकेत करना|
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