भाषा का प्रमुख गुण है-सृजनशीलता। हिन्दी में सृजनशीलता का अद्भुत गुण
है, अद्भुत क्षमता है, जिससे यह निरंतर प्रवाहमान है। हिन्दी ही ऐसी भाषा है, जिसमें
है जो
समायोजन की पर्याप्त और जादुई शक्ति है। अन्य भाषाओं और संस्कृतियों के शब्दों
को हिन्दी जिस अधिकार और सहजता से जज्ब करती है, उससे हिन्दी की संभावनाएँ
प्रशस्त होती हैं। हिन्दी के लचीलेपन ने अनेक भाषाओं के शब्दों को ही नहीं उसके
सांस्कृतिक तेवरों को भी अपने में समेट लिया है। यही कारण है कि हिन्दी सामाजिक
संस्कृति की तथा विभिन्न भाषा-भाषियों और धर्मावलंबियों को प्रमुख पहचान बन गई
स
को
है। अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी आदि के शब्द हिन्दी को शब्द सम्पदा में ऐसे मिल गए
हैं, जैसे वे जन्म से ही इस भाषा परिवार के सदस्य हों, यह समाहार उसकी जीवंवता का
च
प्रमाण है।
अ
आज हम परहेजी होकर शुद्धतावाद की जड़ मानसिकता में कैद होकर नहीं रह
सकते। सूचना क्रांति, तकनीकी विकास और वैज्ञानिक आविष्कारों के दबाव ने हमें
सबसे संवाद के अवसर दिए हैं। विश्व ग्राम की संकल्पना से हिन्दी को कदम-कदम
चलना होगा। इसके लिए आवश्यक है-आधुनिक प्रायोजनों के अनुरूप विकास और
भाषा,
लिपि से संबंधित यांत्रिक साधनों का विकास। इंटरनेट से लेकर बाजार तक तथा
राज-काज से लेकर शिक्षा और न्याय के मंदिरों तक हिन्दी को उपयोगी बनाने और
उसकी कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए उसका सरल-सहज होना आवश्यक है। उसकी
ध्वनि, लिपि, शब्द-वर्तनी, वाक्य-रचना का मानकीकृत होना भी जरूरी है। सरकार की
तत्परता के साथ हम जनता की दृढ़ इच्छाशक्ति, सजगता और सचेष्टता को जोड़ दें, तो
वह दिन दर नहीं जब हिन्दी अंतर्राष्ट्रीय सरहदों में भारत की रहनुमाई होगी।
(i) हिन्दी की समायोजन शक्ति से लेखक का क्या अभिप्राय है?
(ii)हिन्दी भाषा के संदर्भ में शुद्धतावादी होने का क्या अभिप्राय है?
(iii) हिन्दी को सबसे संवाद स्थापित करने का अवसर कैसे मिला है ?
(iv) सबके साथ कदम मिलाकर चलने के लिए क्या आवश्यक है?
(v) 'समायोजन' और 'सहजता' शब्दों में से उपसर्ग और प्रत्यय अलग-अलग करके
लिखिए।
(vi) 'जड़' और 'जन्म' शब्दों के विलोम शब्द लिखिए।
(vii) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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answer batao ni mil rha h
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