Hindi, asked by vishalkr1352, 6 months ago

भाषा को परिभाषित करते हुए इसकी प्रकृति का विवेचन कीजिये। ​

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Answered by mushaba84
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ok will try to answer.........

Answered by shubhanshuupadhyay98
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Answer:

उच्चारित यादृच्छिक ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है जिसके द्वारा समाज विशेष के लोग भाव विचारों का आदान – प्रदान करते हैं। मानव के मुख से निकली वह सार्थक ध्वनियां जो दूसरों तक अपनी बात पहुंचाने का काम करती है भाषा कहलाएगी।

Explanation:

भाषा की प्रकृति तथा परिभाषा

प्रश्न

भाषा से क्या अभिप्राय है ? भाषा की परिभाषा देते हुए उसकी प्रकृति स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – मुख्य तत्त्व निम्मनलिखित है –

भाषा शब्द संस्कृत की ‘ भाषा ‘ धातु से निर्मित है। जिसका अर्थ है ‘ बोलना ‘ |

ध्वनियाँ किसी ‘ अर्थ ‘ की प्रतीक होती है। यह ‘ अर्थ ‘ सहजता नहीं बल्कि माना हुआ होता है।

यादृच्छिक का अर्थ है ‘ जैसी इच्छा हो ‘ अर्थात किसी एक भाषा को बोलने वाले लोग अपनी इच्छा के अनुसार कुछ ध्वनि समूह का एक अर्थ मान या निश्चित कर लेते हैं।

जैसे तीन ध्वनिया है म , क , ल इन तीनों ध्वनियों का समूह बना दें तो वह होगा ‘ कमल ‘ जिसे लोगों ने एक ‘ फूल ‘ के रुप में मान लिया है।

यदि इसे बिगाड़ कर म, क , ल – मकल कर दिया जाए तो , ध्वनि समूह निरर्थक हो जाएगा।

यही व्यवस्था वाक्य के स्तर पर भी आवश्यक होती है। जैसे – ‘ वह गाना गाएगा ‘ यह वाक्य व्यवस्था को बिगाड़ दिया जाए ‘ हव नागा एगजा ‘ तो वाक्य निरर्थक हो जाएगा।

परिभाषा

उच्चारित यादृच्छिक ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है जिसके द्वारा समाज विशेष के लोग भाव विचारों का आदान – प्रदान करते हैं।

मानव के मुख से निकली वह सार्थक ध्वनियां जो दूसरों तक अपनी बात पहुंचाने का काम करती है भाषा कहलाएगी।

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम बोलकर या लिखकर अपने मन के भाव या विचार दूसरों तक पहुंचाते हैं , दूसरों के भाव और विचार सुनकर या पढ़कर उसे ग्रहण करते हैं।

भाषा की प्रकृति

मानव स्वभाव की तरह भाषा का भी अपना स्वभाव होता है , उसका यह स्वभाव प्रकृति , भौगोलिक परिवेश , जीवन पद्धति , ऐतिहासिक घटनाक्रम , सामाजिक सांस्कृतिक और विज्ञान के क्षेत्र में होने वाले विकास आदि के अनुरूप बनता और ढलता है।

भाषा की प्रकृति निम्नलिखित है –

सामाजिकता

भाषा के लिए समाज का होना आवश्यक है।

समाज के बिना भाषा की कल्पना नहीं की जा सकती। अतः भाषा एक सामाजिक संस्था है।

अर्जन

भाषा संस्कार रूप में ग्रहण करते हैं

व्यक्ति अनुकरण , व्यवहार अभ्यास से भाषा को ग्रहण करता है।

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