भाषा के ऊपर एक गद्यांश लिखें
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भाषा के ऊपर एक अपठित गद्यांश
भाषा मनुष्य का विशेष अधिकार है । भाषा के कारण ही मनुष्य इतनी उन्नति कर सका है । जानवर हजारों वर्षों से जहां के तहां बने हुए हैं , किंतु मनुष्य उत्तरोत्तरकरता चला आया है । अन्य जानवरों की अपेक्षा मनुष्य भौतिक बल में न्यून होते हुए भी अपनी बुद्धि और भाषा के सहारे सबसे अधिक सफल हो गया है। उसने पंच महाभूत को अपने वश में कर लिया है । यह सब भाषा द्वारा सहकारिता के बल पर ही हो सका है । भाषा द्वारा हमारे ज्ञान और अनुभव की रक्षा होती है । भाषा द्वारा मनुष्य की सामाजिकता कायम है , किंतु भाषा का दुरुपयोग ही उसे छिन्न - भिन्न भी कर देता है।एक मधुर शब्द दो रूहों को मिला देता है और एक ही कटु शब्द दो मित्रों के मन में वैमनस्य उत्पन्न कर देता है ।
अब प्रश्न यह है कि मधुर भाषण किसे कहते हैं ?
साधारणतया जो वस्तु मनोनुकूल होती है । जिससे चित्त द्रवित होता है । वही मधुर कहलाती है। माधुर्य भाषा का भी गुण है। वचनों का माधुर्य द्वार खोलने की कुंजी है । वचनों का आकर्षण न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण और चुंबक के आकर्षण से भी बढ़कर है।
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धन्यवाद