Hindi, asked by meghabrita, 9 months ago

भीष्म ने काशीराज के कन्याओं के साथ को किया क्या वे सही था? ​

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Answered by Anonymous
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भीष्म द्वारा काशीराज की कन्याओं का अपहरण करना

महाबाहो! उन्हीं दिनों मैंने सुना कि काशिराज की तीन कन्याएं हैं, जो सब-की-सब अप्रतिम रूप-सौन्दर्य से सुशोभित हैं और वे स्वयंवर-सभा में स्वयं ही पति का चुनाव करने वाली हैं। उनके नाम हैं अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका। भरतश्रेष्‍ठ! राजेन्द्र! उन तीनों के स्वयंवर के लिये भूमण्‍डल के सम्पूर्ण नरेश आमन्त्रित किये गये थे। उनमें अम्बा सबसे बड़ी थी, अम्बिका मझली थी और राजकन्या अम्बालिका सबसे छोटी थी। स्वयंवर का समाचार पाकर मैं एक ही रथ के द्वारा काशिराज के नगर में गया। महाबाहो! वहाँ पहुँचकर मैंने वस्त्राभूषणों से अलंकृत हुई उन तीनों कन्याओं को देखा। पृथ्‍वीपते! वहाँ उसी समय आ‍मन्त्रित होकर आये हुए सम्पूर्ण राजाओं पर भी मेरी दृष्टि पड़ी। भरतश्रेष्‍ठ! तदनन्तर मैंने युद्ध के लिये खडे़ हुए उन समस्त राजाओं को ललकारकर उन तीनों कन्याओं को अपने रथ पर बैठा लिया।

पराक्रम ही इन कन्याओं का शुल्क है, यह जानकर उन्हें रथ पर चढा़ लेने के पश्‍चात मैंने वहाँ आये हुए समस्त भूपालों से कहा- ‘नरश्रेष्‍ठ राजाओ! शान्तनुपुत्र भीष्‍म इन राज कन्याओं का अपहरण कर रहा है, तुम सब लोग पूरी शक्ति लगाकर इन्हें छुड़ाने का प्रयत्न करो क्योंकि मैं तुम्हारे देखते-देखते बलपूर्वक इन्हें फिर तो वे महीपाल कुपित हो हाथ में हथियार लिये टूट पड़े और अपने सारथियों को ‘रथ तैयार करो, रथ तैयार करो’ इस प्रकार आदेश देने लगे। वे राजा हाथियों के समान विशाल रथों, हाथियों और हष्‍ट-पुष्‍ट अश्र्वों पर सवार हो अस्त्र-शस्त्र लिये मुझ पर आक्रमण करने लगे। उनमें से कितने ही हाथियों पर सवार होकर युद्ध करने वाले थे। प्रजानाथ! तदनन्तर उन सब नरेशों ने विशाल रथ समूह द्वारा मुझे सब ओर से घेर लिया। तब मैंने भी बाणों की वर्षा करके चारों ओर से उनकी प्रगति रोक दी और जैसे देवराज इंद्र दानवों पर विजय पाते हैं, उसी प्रकार मैंने भी उन सब नरेशों को जीत लिया। भरतश्रेष्‍ठ! जिस समय उन्होंने आक्रमण किया उसी समय मैंने प्रज्वलित बाणों द्वारा हंसते-हंसते उनके स्वर्णभूषित विचित्र ध्‍वजों को काट गिराया। फिर एक-एक बाण मारकर मैंने समरभूमि में उनके घोड़ों, हाथियों और सारथियों को भी धराशायी कर दिया। मेरे हाथों की वह फुर्ती देखकर वे पीछे हटने और भागने लगे। वे सब भूपाल नतमस्तक हो गये और मेरी प्रशंसा करने लगे। तत्पश्‍चात मैं राजाओं को परास्त करके उन सबको वहीं छोड़ तीनों कन्याओं को साथ लेकर हस्तिनापुर में आया। महाबाहु भरतनन्दन! फिर मैंने उन कन्याओं को अपने भाई से ब्याहने के लिये माता सत्यवती को सौंप दिया और अपना वह पराक्रम भी उन्हें बताया।

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