भीष्म पितामह का संक्षेप में परिचय दीजिए
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Explanation:
आज का युग विज्ञान का युग है। वर्तमान समय में विज्ञान ने हमें कम्प्यूटर के रूप में एक अनमोल उपहार दिया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है। जो काम मनुष्य द्वारा पहले बड़ी कठिनाई के साथ किया जाता था, आज वही काम कम्प्यूटर द्वारा बड़े ही आराम से किये जा रहे हैं। कंप्यूटर का उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर ने दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। इंटरनेट द्वारा गूगल, याहू एवं बिंग आदि वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के द्वारा विश्व में किसी भी जगह बैठे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए केवल ई-मेल अकाउंट और पासवर्ड का होना आवश्यक होता है। कम्प्यूटर मनोरंजन का भी महत्वपूर्ण साधन है। इस पर अनेक खेल भी खेले जा सकते हैं। कुल मिलकर कहें तो कम्प्यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना दिया है। कम्प्यूटर सचमुच एक जादुई पिटारा है।
Explanation:
देवव्रत के पिता राजा शान्तनु धीवर की रूपवती पुत्री सत्यवती से विवाह करना चाहते थे परन्तु उसने एक शर्त रखी कि उसकी पुत्री से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी हो । शान्तनु इसके लिए तैयार न हुए और उदास होकर महल को लौट आए । देवव्रत को जब यह बात मालूम पड़ी तो वह स्वयं धीवर के पास गए और अपने पिता के विवाह की बात की और कहा कि मुझे राज्य की इच्छा नहीं है और आपकी पुत्री का पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी होगा। यह सुनकर धीवर ने कहा कि राजकुमार मुझे यह चिंता है कि भविष्य में कहीं आपके मेरी पुत्री के पुत्र से राज्य छीन न लें तब देवव्रत ने उसी समय आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन एवं विवाह न करने की प्रतिज्ञा कर ली । शान्तनु का सत्यवती के साथ विवाह हो गया । देवव्रत की पितृ भक्ति से प्रसन्न होकर शान्तनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया । अपनी भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत भीष्म कहलाए ।