भीष्म पितामह की दृष्टि में मानवता का अर्थ क्या है- लगभग 50 शब्दों का
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करीब 58 दिनों तक मृत्यु शैया पर लेटे रहने के बाद जब सूर्य उत्तरायण हो गया तब माघ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म पितामह ने अपने शरीर को छोड़ा था, इसीलिए यह दिन उनका निर्वाण दिवस है। आओ जानते हैं भीष्म पितामह के बारे में 10 रोचक तथ्य।
1.राजा प्रतीप हुए जिनके दूसरे पुत्र थे शांतनु। शांतनु ने गंगा से विवाह किया था जिससे देवव्रत का जन्म हुआ। यहीं आगे चलकर भीष्म कहलाए। पिछले जन्म में भीष्म आठ वसुओं में से एक वसु 'द्यु' थे। भीष्म गंगा के आठवें पुत्र थे। बाकी 7 को गंगा ने नदी में बहा दिया था।
2.गंगा के स्वर्ग चले जाने के बाद शांतनु को निषाद कन्या सत्यवती से प्रेम हो गया। वे उसके प्रेम में तड़पते थे। सत्यवती ने शांतनु से विवाह करने के लिए भीष्म के समक्ष अपने पुत्रों को ही हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठेने की शर्त रखी तब भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की और सत्यवती को लेकर राजमहल आ गए।