भाषा और लिपि में क्या अंतर है ? इस विषय पर शिक्षक से चर्चा करें ।
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Bhasha man ki bhavnavoka bataneka sadhan hee and lipi savvad likhneka sadhan heee
भाषा और लिपि में अंतर —
भाषा अपनी बात कहने और भावनाओं को ध्वनि संकेतों के माध्यम से व्यक्त करने का एक साधन है। लिपि उसी भाषा को लिखित रूप में देने की एक व्यवस्था है।
भाषा और लिपि में भाषा अधिक महत्वपूर्ण है। लिपि भाषा पर निर्भर है भाषा लिपि पर नहीं। बिना लिपि के भी भाषा का अस्तित्व हजारों साल तक रहा है। पहले भाषा का विकास होता है फिर लिपि बनती है। भाषा लिपि के बिना भी अपना अस्तित्व बनाए रह सकती है जब की लिपि भाषा का ही एक विस्तृत रूप है।
सामान्य अर्थों में कहें तो भाषा जो कि मौखिक ध्वनि का रूप है, उसको लिखित रूप में वर्णों के माध्यम से प्रकट करने को लिपि कहते हैं। हर भाषा की अपनी एक लिपि होती है जैसे हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली आदि भाषाओं की लिपि देवनागरी कहलाती है तो अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश आदि भाषाओं की लिपि रोमन कहलाती है।
जहां भाषा ध्वन्यात्मक है तो लिपि दृश्यात्मक होती है।
भाषा तुरंत प्रभाव कारी होती है जबकि लिपि का प्रभाव आवश्यक नहीं कि तुरंत ही हो।
भाषा ध्वनी संकेतों की व्यवस्था का एक रूप है तो लिपि वर्ण संकेतों की व्यवस्था का रूप है।
जहां लिपि भाषा पर निर्भर है तो भाषा लिपि पर निर्भर नहीं, लेकिन दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं।
हालांकि संसार की हर भाषा की अपनी एक लिपि होती है लेकिन कोई भी भाषा किसी भी लिपि में लिखी जा सकती है।