Hindi, asked by dubeyrajni94, 9 months ago


भाषा और धर्म किसी भी संस्कृति के मूलाधार होते हैं। धर्म वह
मूल्य तय करता है, जिनसे जनसमूह संचालित होते हैं और भाषा
सनातन मानव परंपराओं की वाहक और नई अभिव्यक्ति का वाहन
दोनों है। निर्मल वर्मा के रचना संसार में भारतीय धर्मों और
और
की आश्चर्यजनक भिन्नता के प्रति एक सहज उत्सुकता
का भाव हर कहीं है, लेकिन इसी के साथ एक त्रासद अहसास )
है कि असली लड़ाई बाहरी युद्ध क्षेत्रों में नहीं, बल्कि मनुष्यों के
देने
मनों में चलती है और आवश्यक नहीं कि उस लड़ाई में जीत हमेश
उदात्त, धैर्यवान और क्षमाशील तत्त्वों की ही हो। दर्शन के कारण
भोग
आदमी, देवता, नदी, पर्वत, वनोपवन आदि से जुड़े मिथकों की एक
धुंध हमेशा उनके मन को, आधुनिक जीवन जीने के बीच स्वदेश है।
या परदेश, हर कहीं घेरे रहती है। "मिथक मनुष्य की 'सर्जना'
उतनी नहीं है, जितना वह मनुष्य की अज्ञात, अनाम, सामूहिक चेतन
का अंग है। इसके द्वारा अर्थ ग्रहण किया जाता है। कला चेतना की
उपज हैं, जो उदात्तम क्षणों में मिथक होने का स्वप्न देखती है,
जिसमें व्यक्ति और समूह का भेद मिट जाता है।" अंतत: एक
लेखक में ऐसे सच्चे और कठोर आत्मालोचन की क्षमता भी
संस्कृति के गहरे अनुशासन में ही उपजती है और देर से ही सही,
यह एक कलाकार को मानव नियति को ठीक से समझकर संस्कृति
के नए आयाम रचने की ताकत भी प्रदान करती है। व्यक्ति और
समाज के अंतर्सबंध कैसे बनते हैं और उनके बीच संप्रेषण के
सहज तार कभी टूट भी जाते हैं, उन्हें किस हद तक टूटने से
बचाया जा सकता है? संस्कारित, सभ्य किंतु निष्कवच कला को,
उसकी विनम्र और अहिंसापरक विचारशीलता को सर्वग्राही
सुरसाकार आक्रामक विचारधाराओं के जबड़ों से क्यों बचाया जाना
ज़रूरी है? आदि इन सवालों को लेकर निर्मल का स्वर विनम्र भले
हो, लेकिन उसे हमेशा आदर से सुना जाएगा।
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1. निर्मल वर्मा के साहित्य में त्रासदीपूर्ण अहसास क्या है?
II. संस्कृति का मूलाधार किसे माना जाता है और क्यो?
III. संस्कृति का अनुशासन क्यों आवश्यक है?
TV. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक तर्क के साथ
बताइए।
V. 'अभिव्यक्ति' शब्द में से मूल शब्द एवं उपसर्ग को अलग
कीजिए।​

Answers

Answered by vk91552600
4

Answer:

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Answered by franktheruler
0

गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर :

  • 1. निर्मल वर्मा के साहित्य में त्रासदीपूर्ण अहसास उध है कि इसमें भारतीय भाषाओं तथा धर्मों के लिए आदर व उत्सुकता है। उनके साहित्य में मानव के मन में आने वाले विचार व भावनाएं भी शामिल है।
  • 2. संस्कृति का मूलाधार धर्म और भाषा को माना गया है क्योंकि इन्हीं के कारण पुरानी परंपराओं का प्रयोग होता है व जीवन का संचलन संभव हो सकता है।
  • 3. संस्कृति का अनुशासन आवश्यक है क्योंकि इससे किसी भी लेखक में कठिन व सच्चा आत्म लोचन उत्पन्न होता है तथा संस्कृति के नवीन आयाम रचने की क्षमता प्राप्त होती है।
  • 4. इस गद्यांश का सबसे उपयुक्त शीर्षक होगा भाषा और धर्म
  • 5.अभिव्यक्ति में मूल शब्द है व्यक्ति तथा उपसर्ग है अभि

#SPJ3

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