भाषा प्रवाह तथा भाव अनुसार भाषा के प्रयोग में निराला जी बेजोड़ है बादल राग कविता के माध्यम से समझाइए
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वे आपस में घुले-मिले हैं। उनकी कविता उल्लास-शोक, राग-विराग, उत्थान-पतन, अंधकार-प्रकाश का सजीव कोलाज है। भाषा-शैली-निराला जी ने अपने काव्य में तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली का प्रयोग किया है। बँगला भाषा के प्रभाव के कारण इनकी भाषा में संगीतात्मकता और गेयता का गुण पाया जाता है।
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