Hindi, asked by krishtumale, 4 days ago

भाषा
राष्ट्रीयमाकहलाती है।
भाषा में एकरूपता रखने के लिए निर्धारित किया गया रूप
कहलाता है।
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Answered by krrajurajput
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जघराने के दस्तावेज मोड़ी लिपि में लिखे जाते थे। धीरे-धीरे मराठी भाषियों में मोड़ी लिपि जानने वालों की संख्‍या कमतर होने लगी। आज स्थिति यह है कि जमीन-जायदाद के लिखे दस्तावेजों को पढ़ना दूभर हो गया है।

भारत जैसे देश में हमारी मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम दूसरों की चीज आसानी से जज्ब कर लें। हमारे लिए दूसरों की फूड हेबिट अपचन का कारण बन जाती है। दूसरों की सांस्कृतिक विरासत सिर्फ नएपन के तौर पर अच्छी लगती है, पर रोजमर्रा की जिंदगी में सिर्फ अपना और सिर्फ अपना ही चाहिए तब लिपि भी कहाँ अछूती है। हम क्यों छोड़ें अपनी दूसरों के लिए। हर वाक्य हर आम और खास को प्रेरित करेगा सिर्फ अपनी ही अपनाने के लिए।

लिपि के मामरे सामाजिक परिवेश से जुडी हुई है 'किसी भी मुस्लिम बहुल मोहल्ले में चले जाइए, हर जगह उर्दू में लिखे पोस्टर चिपके मिल जाएँगे। इन हर्फों को समझना आपके-मेरे लिए नामुमकिन होगा। जब कुछ लोग अपनी बात कुछ अपनों से ही कहना चाहते हैं, दूसरों के साथ बाँटना नहीं चाहते हों तो क्यों करेंगे नागरी का उपयोग।

लिपि के मामले में समानता की बात करना सिर्फ बेमानी है। पूर्णतया आकाश कुसुम तोड़ने की तरह है। क्योंकि भाषा सीखना न तो ब्रायन लारा की 400 रनों वाली मैराथन पारी है, न ही एडमण्ड हिलेरी-तेनसिंह नोरके की एवरेस्ट पर चढ़ाई की तरह। यह तो एक छोटी सी चुनौती है।

अज्ञात को ज्ञात करने का अनुभव है, दूसरों की बगलों में झाँकने की कोशिश है, बेगानों को अपना बनाने की स्वैच्छिक प्रक्रिया है। इस चुनौती को स्पोर्ट्‍समैन स्प्रिट से ग्रहण करने पर सीख की प्रक्रिया में आनंद आएगा, नए रस का संचार होगा और एकीकरण की प्रक्रिया में सब कुछ गड्‍ड-मड्‍ड हो जाएगा।

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