भाषा संसार का नादमय चित्र है यह कथन किसका है
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पन्त
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भाषा संसार का नादमय चित्र है यह कथन सुमित्रानन्दन पन्त का है|
सुमित्रानंदन पंत
प्रकृति के सुकुमार सुमित्रानंदन पंत कहा जाता है| सुमित्रानंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था।
छायावादी तथा प्रगति-वादी अनुभूति के कवि सुमित्रानन्दन पंत ऐसे कवि रहे हैं, जिन्हें “प्रकृति के सुकुमार कवि” ‘प्रकृति के चितेरे कवि’, ‘कोमल कल्पना के कवि आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है। सुमित्रानंदन पंत वस्तु वर्णन, नारी सौन्दर्य, छन्द योजना, अलंकार योजना में कोमलता के साथ-साथ पन्तजी ने प्रकृति के कण-कण में सबसे ज्यादा योगदान दिया है|
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