Hindi, asked by chandangeete678, 2 months ago

भाषण कौशल (Topic)
संतुलित आहार (भोजन)

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Answered by ketansahu751
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Answer:

आहार या भजन प्राकृतिक या अप्राक्रतिक रूप से प्राप्त भोज्य/खाद्य पदार्थ होता है जैसे प्रकृति द्वारा प्राप्त अनाज दाल , चावल, गेहूं, सब्जी, फल, दूध शर्करा, तेल ये सब प्राकृतिक अनाज है, जो हमें प्रकृति द्वारा प्राप्त होते हैं वैसे ही अप्राकृतिक अनाज जैसे मांस ,मछली ,अंडा ,तथा अन्य प्राणीजय पदार्थ यह सब अप्राकार्तिक आहार है, जो हमारे लिए अत्यधिक आवश्यक है, इन आहार से हमें पोषण मिलता है, जो कि हमारे शरीर के लिए आवश्यक है।

आहार/भोजन : आहार ठोस या तरल पदार्थ होते हैं, जो हम मानव के लिए जिंदा रहने के लिए और संवेगात्मक दृष्टि के लिए आवश्यक है यह आहार से मनुष्य की शारीरिक मानसिक संवेगात्मक सामाजिक क्षमता के संतुलन के लिए आहार अति आवश्यक पदार्थ है।

आहार से पोषण: आहार से जटिल प्रक्रियाओं द्वारा एक सजीव प्राणी अपने शरीर के कार्यों वृद्धि तथा तत्व के पुनर्निर्माण एवं भरण पोषण के लिए आवश्यक पदार्थों का ग्रहण तथा उपयोग करता है उसे उसे पोषण कहते हैं जो कि आहार के संतुलित होने पर प्राप्त होता है।

स्वस्थ आहार: स्वस्थ आहार वह होता है जो कि स्वास्थ्य को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है कई चिरकालिक बीमारी जो कि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है जैसे मोटापा हृदय रोग मधुमेह और कैंसर की रोकथाम के लिए स्वस्थ आहार अति महत्वपूर्ण है एक स्वस्थ आहार में समुचित मात्रा में सभी पोषक तत्व और पानी का सेवन शामिल होता है पोषक तत्व कई खाद्य पर्दार्थो से प्राप्त किए जा सकते हैं, जिसमे सभी पोषक तत्व विद्यमान वह पोषक आहार ,स्वस्थ आहार माना जाता है। स्वस्थ आहार हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं।

स्वस्थ आहार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पांच मुख्य बातें कही हैं

(1) स्वस्थ आहार से ऊर्जा संतुलन और स्वस्थ भोजन प्राप्त होता है

(2) स्वस्थ आहार से कुल वसा से सीमित ऊर्जा ग्रहण करें, संतृप्त वसा का प्रयोग करे, और पार-वसाम्ल का प्रयोग करें

(3) फल, सब्जिया, फलिया, अनाज, और गिरीदार फल और रस भरे फलों का सेवन बढ़ाएं

(4) सामान्य चीनी का सेवन करें अत्यधिक चीनी के प्रयोग से बचें

(5) सोडियम का सेवन(नमक) का सीमित प्रयोग करें वह वो भी आयोडाइजकृत नमक होना चाहिये।

डब्ल्यु.एच.ओ (W.H.O) : का अनुमान है कि प्रति 2.7 लाख मौतें प्रतिवर्ष आहार में सब्जी, फलों की कमी, की वजह से होती है डब्ल्यू.एच.ओ का अनुमान है कि 19% लोग संतुलित आहार के प्रयोग ना करने से कैंसर, 31% लोग ह्रदय घात, और 11%, आघात का कारण है ,इस प्रकार असंतुलित आहार का प्रयोग करने की वजह से ही 2.7 लाख लोगो की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती है .

आहार/भोजन के प्रकार: आहार तीन प्रकार के होते हैं।

(1) सात्विक आहार(Sattvic diet)

(2) राजसिक आहार(Royal diet)

(3) तामसिक आहार(Tamasic diet)।

सात्विक आहार

(1) सात्विक आहार शरीर को शुद्ध करता है मन को शांति प्रदान करता है

(2) भोजन को 3-4 घंटे के अंदर सेवन कर लें ,इसे सात्विक आहार कहते हैं

(3) उदाहरण :- ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम आदी,अनाज और ताजा दूध।

राजसिक आहार

(1) ये आहार शरीर और दिमाग को कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं, इसका अत्यधिक सेवन से शरीर में अतिसक्रियता, बेचैनी, चिड़चिड़ापन,क्रोध , नींद ना आना इसका कारण है

(2) अति स्वादिष्ट खाद्य आहार राजसिक आहार है

(3) उदाहरण:- मसालेदार भोजन, प्याज ,लहसुन ,चाय, कॉफी ,और तले आहार सभी रसजसिक आहार है।

तामसिक आहार

(1) तामसिक आहार वे है जो शरीर और मन को सुस्त करते हैं इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता , भ्रम , और भटकाव महसूस होता है।

(2) बांसी या पुनः गरम किया गया आहार ,तेल वाला या अत्यधिक भोजन और कृतिम परीक्षकों से युक्त आहार इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

(3) उदाहरण:- मांसाहारी आहार ,बांसी आहार ,वसायुक्त आहार , तेल युक्त आहार ,और अत्यधिक मीठा आहार।

इस प्रकार हम कह सकते कि एक अच्छा आहार हमारे स्वास्थ्य को अच्छा बनाता है

एक कहावत है की

” ‘जैसा खाओ अन्न वैसा होवे मन

‘अच्छा होवे मन तब बन जाओ भगवान; “

अर्थात: जैसा हम भोजन करते हैं वैसा ही हमारा मन हो जाता है इसलिए अच्छा, आहार हमारे तन और मन को भगवन समान बना देता है अर्थात सही आहार हमारे मन को और तन को संतुष्ट और सही और संतुलित रुप से हष्ट-पुष्ट, रखता है जिसके कारण अच्छे तन में अच्छा मन निवास करता है।

इस प्रकार सही आहार से विचारों में निर्मलता आती है जिसकी वजह से हमारे घर परिवार में शांति स्थापित होती है, और इसी शांति की वजह से हमारा देश समाज सर्दंड बनेगा इसलिए हमें तामसिक राजसिक भोजन छोड़कर सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिए सात्विक आहार हमको आयु, बल, आरोग्य और सुख प्रदान करता है, आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी सात्विक भोजन को ही महत्व देता है हमारे देश के ऋषि मुनि भी सात्विक आहार का ही प्रयोग करते थे जिससे उनकी आयु काफी लंबी रहती थी, साथ ही वह बहुत ही बलशाली रहते थे, शांत रहते थे, इसलिए अच्छा आहार हमे शरीर और मन से स्वस्थ रखता है।

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