भूषण वीर रस के कवि है मे भूषण का पद परिचय।
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Explanation:
Bhushan ka Janm Kanpur mein hua tha .(1613-1715)ke as pas.
bhushan (ritikal) ke 3 Pramukh kobio mein se ek hai .
Bhushan ki upadhi Chitrakut Ke Raja (Rudrasah )Ke Bete (Hridoyram) ne diya tha
Jab Sabhi Kobi Shringar Ras main Rachna kar rahi thi tb bhushan ne veer ras ki promukhta se apni alg rasana kr sabit kia
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भूषण वीर रस के कवि है मे भूषण का पद परिचय निम्न प्रकार से किया गया है।
- भूषण के महान कवि रहे है। 1613 तथा 1715 के बीच रितिकाल के तीन प्रमुख कवि है। कवि भूषण व बिहरीजी।
- भूषण जी ने वीर रस में प्रमुखता से कविताओं की रचना करके अपने आप को सबसे अलग साबित किया।
- चित्रकूट के राजा रुद्रसाह के पुत्र हृदय राम ने उन्हें भूषण की उपाधि दी।
- कवि भूषण जी मोरंग, श्री नगर, जयपुर , जोधपुर,रीवां, छत्रपति शिवाजी महाराज तथा छत्रसाल आदि के आश्रय में रहे।
- भूषण जी के पसंदीदा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज तथा छत्रसाल महाराज थे। भूषण जी इनके सच्चे प्रशंसक थे।
- कवि भूषण जी के जन्म, मृत्यु तथा परिवार आदि संबंध में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता परन्तु सजेती कस्बे के एक परिवार का दावा है कि वे ही कवि भूषण के वंशज है।
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