Hindi, asked by deepak1896, 1 year ago

बहुत घुटन है बंद घर में, खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्कान दो।

ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं,
चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं
लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो ।
हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं ।

की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो
हर उदास रेखा गुजरती, भाई का वह प्यार कहाँ ?
डो-डो रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने दो


(क)ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं - पक्ति का आशय स्पष्ट
कीजिए ।
(ख) सूर्य द्वार से ही क्यों लौट जाएगा?
(ग) आज रिश्तों के डरे-डरे होने का कारण आप क्या मानते हैं ?
(घ) तिमिर शब्द का अर्थ लिखिए ।
(ङ) कवि ने क्या संदेश दिया है ?​

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Answered by dhwani1324
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Answered by sharmanavin1978
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2 unche Bhavan hone ke Karan, Angan na hone ke Karan, Bahari Chamak damak V dikhave Ke Karan, tatha band gharon Mein ghutan hone ke Karan

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