बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
(क) उक्त पंक्तियों में निहित काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ख) उक्त काव्यांश के शब्द-चित्र पर टिप्पणी लिखिए।
mele bad kisko sataoge ❤❤❤
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Answer:
(क) कवि ने कोष्ठकों का प्रयोग किया है। कोष्ठक अतिरिक्त जानकारी प्रदान करते हैं; जैसे कविता में कोष्ठक में दी गई जानकारी (अभी गीला पड़ा है) से आसमान की नमी व ताजगी की जानकारी मिलती है।
(ख) काव्यांश में 'शंख जैसे' में उपमा तथा 'बहुत काली सिल ' गई हो। ' में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(क) उक्त पंक्तियों में निहित काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
✎... उक्त पंक्तियों में कवि ने प्रकृति के मनोहारी दृश्य का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार की का प्रकटीकरण हुआ है, क्योंकि काली सिल को अंधेरे का प्रतीक मान लिया गया है, और लाल केसर सूर्य के प्रकाश को माना गया है। पंक्तियों में कवि ने मुक्तक छंद का प्रयोग किया है। कवि ने कविता में नए बिंबों और प्रतिमानों का प्रयोग कर पंक्तियों को सुंदरतम बना दिया है। कविता की भाषा सरल, सहज और खड़ी बोली में युक्त है, जिसकी सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।
(ख) उक्त काव्यांश के शब्द चित्र पर टिप्पणी लिखिए।
✎... इस काव्यांश में कवि ने काली सिल को अंधेरे के प्रतीक मानकर और लाल केसर को सुबह की सूर्य-किरणों की लालिमा तथा सूरज के प्रकाश को सफेद खड़िया का रूप देकर अनोखा शब्द चित्र प्रस्तुत किया है।
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