बहुत से िोगों से नमत्रता करना भी ठीक नहीं है, क्योंकक सच्ची और आदशा मैत्री एक-दो से ही संभि
है । यह भी ध्यान रखना चानहए कक ककसी को भी अपने प्रेम और निश्वास में िेने से पहिे खूब जाँच-परख
िेना चानहए और किर धीरे-धीरे ननरंतर अपने प्रेम को प्रगाढ़ता प्रदान करते रहना चानहए । एक प्रनसध्ध
निद्वान ने पक्की नमत्रता का मंत्र बताते हुए कहा है कक मनुष्य जो स्ियं करे, उसे भूि जाए और उसका नमत्र
जो अच्छे काया करे, उसे सदैि याद रखें । नमत्रता का यही आधार है । 1सच्ची नमत्रता की प्रगाढ़ता ककससे होती है ?
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