बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
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Explanation:
26 जनवरी 1931 को कोलकाता में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस दिन एक जुलूस निकालने और झंडा फहराने की तैयारी भी की गई। लोगों में उत्साह पूर्वक जुलूस में भाग लिया। सुभाष चंद्र बोस की ट्रेन नेताओं के साथ एक जुलूस में शामिल हुए। पुलिस ने बर्बरतापूर्वक जुलूस में शामिल स्त्री-पुरुषों पर लाठियां बरसाई। बहुत से लोग घायल और गिरफ्तार हुए। स्त्रियां भी पीछे नहीं रही। उन्होंने भी लाठियां खाई और गिरफ्तार हुई। अंग्रेजी साम्राज्य का जैसा डट कर विरोध उस दिन हुआ वैसे पहले कभी नहीं हुआ था। लोगों में स्वतंत्रता प्राप्ति के प्रति उत्साह था। लगभग 200 लोग घायल हुए 105 औरतें जेल गई। देश को आजाद करने का यह उत्साह पहले कभी नहीं देखा गया था। इससे पहले बंगाल के लोगों के विषय में कहा जाता था कि वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं दे रहे हैं। परंतु इस विद्रोह के बाद कलकत्ता वासियों पर लगा कलंक मिट गया। इसी कारण इस दिन को अपूर्व कहा गया है।
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