Hindi, asked by luckygujarwadiya27, 5 months ago

बहुत से मनुष्य अश्वत्थ को सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी देव हमारे विपरीत है अपनी सफलता को अपने ही हाथों के पीछे धकेल देते हैं उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता और विजय कहां हमारा मन चंगा और से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी मैसेज आना ही होगा क्योंकि सौदा की विनती करता ही है
upyukt gadyansh bhasha bharati kaksha 8 ke kis part se liya gaya hai​

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Answered by bhatiamona
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यह गद्यांश भाषा भारती कक्षा 8 पाठ 2 आत्मविश्वास से लिया गया है |

पाठ में समझाया गया है कि हम सफलता को तभी ही प्राप्त कर सकते है, जब हमारे अन्दर किसी भी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपनी क्षमता में विश्वास रखते है।

जीवन में मनुष्य कई बार अपनी असफलता का दोष अपनी किस्मत को दे देता है | मुशी मेहनत नहीं करता और सफलता की उम्मीद करता है | मन ही मन में सोच लेता है कि भगवान हमें सफलता देंगे और मेहनत करा छोड़ देते है | जब वह बिना मेहनत करके असफलता प्राप्त करता है , तब वह निराश हो जाता है | वह मन में बैठा लेता कि उसे बिना मेहनत के सफलता मिल जाएगी | अपने आप को पीछे धकेलता है | वह मेहनत न करके सफलता की उम्मीद करता है |

मनुष्य को सफलता प्राप्त करने के लिए हमेशा मेहनत करनी चाहिए , अपने भाग्य पर निर्भर नहीं रहना चाहिए |

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