Hindi, asked by ranjanasharma98, 2 months ago

बहुत से मनुष्य सोच कर कि हमें सफलता नहीं मिलेगी देव हमारी विपरीत है अपनी सफलता को अपने ही व्यवस्था को पीछे धकेल दिए हैं उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता और विजय क्यों यदि हमारा मंचन का निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा क्योंकि सफलता की कुंजी है​

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Answered by ajjubhai9490
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Explanation:

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