Hindi, asked by sawanjadhavjadhav, 2 months ago

बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता को
अपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता
और विजय कहाँ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशा जनक ही होगा,
क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है।
ईस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए
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Answers

Answered by raunakgupta568
5

Answer:

iska matlab yah hai ki ve apne ichashakti se aparchit h aaur apni safalata ko dakel rahe hai


GoldenShades: Oh bhaiiiii
GoldenShades: Hope you have a great day. .✨
GoldenShades: What do you mean.?
GoldenShades: Bye bye..
GoldenShades: :)
Answered by GoldenShades
5

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बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता को

बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता कोअपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलता

बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता कोअपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलताऔर विजय कहाँ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशा जनक ही होगा,

बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी, दैव हमारे विपरीत है, अपनी सफलता कोअपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं तो सफलताऔर विजय कहाँ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशा जनक ही होगा,क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविचल श्रद्धा ही है।

ʜᴏᴘᴇ ᴛʜɪs ʜᴇʟᴘs ʏᴏᴜ

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