Hindi, asked by akarshitbarman1, 5 months ago

बहुत से मनुष्य यह सोच-सोचकर कि हमें कर्भ
सफलता नहीं मिलेगी, देव हमारे विपरीत है, अपनी सफलत
को अपने ही हाथों पीछे धकेल देते हैं। उनका मानसिक भा
सफलता और विजय के अनुकूल बनता ही नहीं, तो सफलत
और विजय कहाँ ? यदि हमारा मन शंका और निराशा से भर
है, तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होग
क्योंकि सफलता की, विजय की, उन्नति की कुंजी तो अविच
श्रद्धा ही है।इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए ​

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Answered by hameedhapsha
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Answer:

hi hello guys good morning everyone

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