बहुत दूर स्थित जो तारे आंख से दिखाई नहीं देते हुए दूरदर्शी में दिखाई देने लगते हैं क्यों ?
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बहुत से दूरस्थ तारों से आँख में इतना प्रकाश नहीं पहुँच पाता कि वह रेटिना को प्रभावित कर सकें । अत : ये तारे आँख से दिखाई नहीं देते ।
दूरदर्शी के अभिदृश्यक का द्वारक आँख की पुतली के द्वारक से बहुत बड़ा होता है ,
अत : वह तारे से आने वाले प्रकाश की पर्याप्त मात्रा एकत्रित करके चमकीला प्रतिबिम्ब बना लेता है जो कि आँख को दिखाई दे जाता है ।
अत : इन तारों का दूरदर्शी से दिखाई देना आवर्धन के कारण नहीं , बल्कि अभिदृश्यक के बड़े द्वारक के कारण सम्भव हो पाता है ।
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