भीतर ही भीतर भारतवर्ष क्या अनुभव कर रहा है
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इस बात के पर्याप्त प्रमाण खोजे जा सकते हैं कि समाज के ऊपरी वर्ग में चाहे जो भी होता रहा हो, भीतर-भीतर भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि धर्म, कानून से बड़ी चीज है। अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और अध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं लेकिन नष्ट नहीं हुए। आज भी वह मनुष्य से प्रेम करता है.
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