भीतर जो डर रहा. छिपाए,
हाय! वही
बाहर आया।
एक दिवस सुखिया के तनु को
ताप-तप्त मैंने
पाया।
ज्वर में विह्वल हो बोली वह,
क्या जानूँ किस डर से डर,
मुझको देवी के प्रसाद का
एक फूल ही दो लाकर।
and answer the above question please please please please please
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kavita ka naam h एक फूल की चाह
thank me later mad mark Brainliest ❤️
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