भीतर जो डर रहा छिपाए
हाय! वही बाहर आया
एक दिवस सुखिया के तनु को
ताप-तप्त मैंने पाया
ज्वर से विह्वल हो बोली वह
क्या जानू किस डर से डर,
मुझको देवी के प्रसाद का
एक फूल ही दो लाकर।
क) कविता तथा कवि का नाम लिखें।
ख) किस के मन में डर छिपा
हुआ
था और
क्या?
ग) सुखिया को क्या हुआ था?
घ) सुखिया ने अपने पिता के सामने क्या
इच्छा प्रकट की?
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ek divas sukhiyake run kotap tapt Maine paya
bhitar Jo dar raha chipaye hay vhi bahar aaye
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