भादो की रात कैसी होती थी?
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भादो की रात कैसी होती थी ?
भादो की रात अंधेरी होती थी।
व्याख्या :
‘बालगोबिन भगत’ पाठ में बालगोबिन भगत भादों की अंधेरी अधरतिया में भी अपना गाना गाते रहते थे। लेखक भरे बादलों वाली भादों की अंधेरी रात में उनके गाने को सुनकर हैरान रह जाता था। जब सारा संसार निस्तब्धता में सोया रहता था। बालगोबिन भगत का संगीत जग रहा होता था। वो गाना गा रहे होते थे , जाग रहा है, जाग रहा है, तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर जाग जरा।
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