भूदान एक क्ांततकारी आंदोलन है | वह अहहंसक समाज का तनमााण करना चाहता है | उसका उद्देश्य है – सवोदय | वह सबका उदय, सबकी उन्नतत करना चाहता है और अपने कायाक्म का प्रारंभ आत्ममक उदय से करता है | जो सबसे अधिक पपछड़े हुए हैं, सबसे ज्यादा दररद्र, असहाय और पीड़ड़त हैं, उन्हीं को सबसे पहले उठाना उनका लक्ष्य है | वह समाज में आधथाक, सामात्जक और राजतनततक दृत्ष्ट से समता, सहयोग, बंितु ा और प्रेम का वातावरण पैदा करना चाहता है | वह ऐसे जनतंत्र की स्थापना करना चाहता है, त्जसमें कें द्र की समता कम से कम हो, त्जसमें प्रमयेक ग्राम स्वशाससत, स्वावलंबी और स्वयंपूणा हो, जहााँ सब व्यत्ततयों के समान अधिकार और समान कताव्य हों, जहााँ आधथाक दृत्ष्ट से कोई ककसी का शोषण न करता हो और जीवन की आवश्यकताएाँ सबको प्राप्त हों | सब प्रेम एकता और सौहादा के सूत्र में बाँिे हुए हों | इसीसलए भूदान आंदोलन ककसी भी प्रकार की जबरदस्ती और बल-प्रयोग से दरू है | यह पवचार पररवतान के द्वारा समाज पररवतान करता है यही उसकी क्ांतत की प्रकक्या है | यह नवीन मूल्यों की प्रततष्ठा का आंदोलन है | समाज से हहंसा, अनैततकता, अन्याय और दरुाचार को पूरी तरह समटाकर अहहसं ा, नैततकता, न्याय और सदाचार की स्थापना करना चाहता है |
(क) भूदान आंदोलन तया करना चाहता है?
(ख) भूदान पवचार पररवतना के द्वारा समाज पररवतना कैसे करता है | बताएाँ ?
(ग) इस गद्यांश के सलए अपनी पसंद का एक उपयुतत शीषाक सलखखए |
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