Computer Science, asked by pinkeekharte524, 3 months ago

बहादुर पाठ में दी गई घटनाओं में कौन सी घटना को रोका जा सकता था बाढ़​

Answers

Answered by tubasaniya72
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Explanation:

  1. jejjejdjdjrjrnbdd
  2. djdd
  3. dmrmf
  4. पाठ में दी गई घटनाओं में कौन
Answered by Subhadeep19e54
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Answer:

बहादुर' कहानी जीवन की विसंगतियों, विदूपताओं और विडम्बनाओं के चित्र उपस्थित करते हुए एक त्रासद बिंदु पर समाप्त होती है। घर के लोगों को अपराध बोध और लघुता बोध के बीच झूलता छोड़कर चले जाने वाले बहादुर के माध्यम से लेखक ने मध्यवर्गीय नैतिकता और आदर्श का खुला चित्रण किया है। दोहरी नैतिकता में जीवन व्यतीत करने वाला मध्यवर्ग अपने सिद्धांतों और व्यवहारों में कैसे और कितना भिन्न है- यह कथा की घटनाएँ और विशेष रूप से उसका अंत साफ कर देते हैं।

अमरकांत ने निर्भय होकर उस सच्चाई को रखा है, जहाँ सिद्धांत और नैतिकता के बीच इतनी पोली सुरंगें गुजर रही हैं कि जीवन में जहाँ कहीं नैतिकता के स्तर पर निर्णय लेने का क्षण आता है तो ये सुरंगे भरभराकर गिर पड़ती हैं। गृहस्वामी का रिश्तेदारों के झूठे आरोप लगाने पर बहादुर के मेहनती और ईमानदार स्वभाव को परख लेने के बाद भी उसे पीटना इस कथन का तार्किक प्रमाण है। यही नहीं निर्मला का निर्मम स्वभाव और अंत में बहादुर के चले जाने पर पश्चाताप भी इसी तार्किक प्रमाण का अंश है।

इस कहानी को नौकर के साथ जुड़ी सामाजिक प्रतिष्ठा और शोषण-शोषित के वर्ग संघर्ष को दिखाने वाली कहानी के अतिरिक्त लेखक ने बाधित बचपन की कहानी के रूप में दिखाने की कोशिश भी की है। जिस अपमान, पीड़ा और स्नेह से वंचना से आरंभ हुई बहादुर की यह कहानी अपने अंत मे जैसे जीवन का एक वृत्त पूरा करके वापस वहीं खड़ी हो जाती है, जहाँ से यह शुरू हुई थी। एक मोहभंग से दूसरे मोहभंग का सफर पूरा करती, यह कहानी अपने अंत की दृष्टि से इसलिए भी बेहद प्रभावशाली बन पड़ती है कि निर्धन, अपमानित बालक बहादुर घर से अपने श्रम का एक पैसा लिए बगैर, कपड़े-जूते लिए बगैर, अपना स्मृति कोष लिए बगैर भी घर का सम्मान, सुकून, मानसिक संतोष सब कुछ ले जाता है। यही कारण है कि घर के सदस्यों को वह आजीवन एक लघुता-बोध की स्थिति में छोड़ जाता है।

'बहादुर' कहानी के अध्ययन, प्रतिपादन और विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि यह कहानी बहादुर के जीवन से जुड़े विभिन्न आयामों को और उसके माध्यम से समाज से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है।

की दृष्टि से ये बिंदु हैं :

निष्कर्ष मातृ-स्नेह से वंचित बच्चे का मनोविज्ञान।

सामाजिक ढाँचे के भीतर नौकर और मालिक के

अंतर्विरोध।

निर्मला और किशोर द्वारा उत्पीड़न के शिकार बहादुर की मनुष्यता से एक दर्जा नीचे

समझे जाने की पीड़ादायक अनुभूति नौकर को सामाजिक प्रतिष्ठा का सूचक मानने वाली मध्यवर्गीय मानसिकता।

बहादुर के बाधित बचपन की व्यथा। जीवन-जटिलताओं से संघर्षरत बहादुर की मनःस्थिति। घरेलू नौकरों के प्रति किया गया अमानवीय, असंवेदनशील व्यवहार।

मध्यवर्ग की उच्च वर्ग में शामिल होने की आकांक्षा। कथाकार द्वारा यथार्थवादी दृष्टि स प्रतिनिधिक परिस्थितियों में प्रतिनिधिक पात्रों की सृष्टि। मध्यवर्गीय दोहरी नैतिकता और आदर्श तथा व्यवहार के बीच की गहरी खाई का होना।

मध्यवर्ग की मानवीयता और संवेदनहीनता की स्थिति में झूलते रहने की प्रवृत्ति के चलते अपराध-बोध, लघुता-बोध का अनुभव। बड़े नैतिक बल के सामने खड़े हर अन्याय का छोटा पड़ना।

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