४. भू धातु में तव्यत् (तव्य) प्रत्यय जोड़ने से भवितव्य: पद बनता है। इसी प्रकार निम्नलिखित
धातुओं में निर्दिष्ट प्रत्यय जोड़कर पद बनाइए-
पठ् + तव्यत्, दृश् + तव्यत्, नी + तव्यत्, हस् + तव्यत्, लिख् + तव्यत्,
दा + अनीयर्, पठ् + अनीयर्, कृ + अनीयर्, पत् + अनीयर्, भू
+ अनीयर,
भू + क्त,
+ क्त, पठ् + क्त,
गम् + क्त, लिख + क्त
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<b>विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।</b>
भावार्थ:
ज्ञान विनय देता है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।<b>विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।</b>
भावार्थ:
ज्ञान विनय देता है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।<b>विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।</b>
भावार्थ:
ज्ञान विनय देता है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।<b>विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम्।।</b>
भावार्थ:
ज्ञान विनय देता है; विनय से पात्रता, पात्रता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।