'भेड़ें और भेड़िये' कहानी आज के समाज की प्रजातांत्रिक व्यवस्था का सजीव चित्रण प्रस्तुत
करती है। कहानी के आधार पर बताइए।।
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प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से आशय प्रजातंत्र की स्थापना से है। एक बार वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
पशु समाज ने जब प्रजातंत्र की स्थापना की बात सोची तो उन्हें लगा कि अब उनके जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग आ जाएगा इसलिए पशु में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी।
प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों को लगा कि अब उनका भय दूर हो जाएगा। वे उनके प्रतिनिधियों से कानून बनवाएँगे कि कोई जीवधारी किसी को न सताएँ, न मारे। सब जिएँ और जीने दें का पालन करेंगे। उनका समाज शांति, बंधुत्व और सहयोग पर आधारित होगा।
भेड़ और भेड़िये’ कहानी हमें राजनीतिज्ञों के षडयंत्रों तथा अपने चुनाव के अधिकार के सही प्रयोग करने का संदेश देता है। भोली-भाली जनता को नेता और उनके चापलूस मिलकर गुमराह करते रहते हैं अत: जनता की चाहिए कि वे सतर्क और सावधान रहकर अपने अधिकारों का प्रयोग करें।
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