बहुविकल्पीय एव सक्षिप्त उत्तर वाल प्रश्न
कवि ने आह्वान किया है- क्रांति का / नेह का / कर्म का ।
नीला तिने पाभी पणआदमी से की है
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कुर्वन्नेह कर्माणि जिजीविशेक्ष्तम समा:
कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की इच्छा रखो । वेद की यह सूक्ति कर्म के महत्व को इंगित करती है । हम सौ वर्ष तक जीने की इच्छा रखें किंतु कैसे , उत्तर मिलता है – काम करते हुए । आदि काल से हमारे धर्मग्रंथों में कर्म के महत्व को बताया गया है । महा कवि गोस्वामी तुलसीदास ने तो इस संसार में कर्म को ही प्रधान माना है ।
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