बहुव्रीहि समास kya hote hain?
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जिस समास में पहला या दूसरा कोई पद प्रधान नही होता बल्कि दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की तरफ संकेत करते हैं । जैसे - मुर्लिधर - मुरली को धारण करता है जो अर्थात् श्री कृष्ण।
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जिस समास में ना पूर्व पद प्रधान होता है ना ही उत्तर पद बल्कि समस्त पद किसी अन्य पद का विशेषण होता है अर्थात कोई तीसरा पद प्रधान होता है, वह बहुव्रीहि समाज है।
१. चतुर्भुज :- चार है बुझाए जिसकी अर्थात विष्णु
२. चक्रधर :- चक्र को धारण करने वाले अर्थात विष्णु
३. मेघनाथ :- मेक के समान नाथ करता है जो अर्थात रावण का पुत्र
४. घनश्याम :- घन के समान श्याम है जो अर्थात कृष्ण
५. चक्रपाणि :- चक्र है पानी में जिसके अर्थात
६. वीणापाणि :- वाणी है पानी में जिसके अर्थात सरस्वती
७. नीलकंठ :- नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव
८. त्रिलोचन :- तीन है लोचन जिसके अर्थात शिव
९. लंबोदर :- लंबा है अदर जिसका अर्थात गणेश
१०. दशानन :- 10 है आनन जिसके अर्थात रावण
११. चतुरानन :- चार है आनन जिसके अर्थात ब्रह्मा
१२. निशाचर :- निशा में विचरण करता है जो अर्थात राक्षस
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