. भावार्थ लिखिए :
एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,
जग का रूप बदल दे, हे माँ,
कोटि-कोटि हम आज साथ में
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भारत माँ के एक हाथ में न्याय पताका | है तो दूसरे हाथ में ज्ञान की दीप या ज्योति है। कवि जग का रूप बदलने के लिए भारत माँ से कह रहा भारत माँ के साथ आज हम कोटि-कोटि भारतवासी हैं। जय-हिन्द का नाद सकल नगर और ग्राम में गूंज उठा है । इस प्रकार कवि मातृभूमि को शत-शत ६ प्रणाम करता है।
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Explanation:
इस कविता को कवि भगवतीचरण वर्मा द्वारा विरचित प्रबो नामक कविता से लिए गया है/
*भारत मां के ऐक हाथ में न्याय पताका और दूसरे हाथ में ज्ञान दीप हैं/
*आज मां के साथ करोड़ों लोग हैं/ उनके जय हिंद का नाद सकल नगर और ग्राम में गूंजता हैं/
*वे सौ सौ बार मातृभूमि को प्रणाम कर रहे हैं/उपर्युक्त पंक्तियों में देशप्रेम की झलक दिखाई देती है/
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