भावार्थ लिखिए ।
हम मान - रहित, अपमान - रहित , जी भरकर खुलकर खेल चुके
हम हँसते - हँसते आज यहाँ प्राणों की बाज़ी हार चले ।
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हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले । मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले । सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहाँ चले । जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले ।
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