Hindi, asked by HIMANSHU0202, 2 months ago

भावार्थ लिखिए।

धरती के सूखे अधरों पर, गिरी बूंद अमृत-सी आकर वसुंधरा की रोमावलि'-सी हरी दूब, पुलकी-मुसकाई। पहली बूंद धरा पर आई।​

Answers

Answered by sharulislamchoudhury
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Explanation:

आगे कवि कहते हैं कि धरती के सूखे होंठों पर बारिश की बूंद अमृत के समान गिरी , मानो वर्षा होने से बेजान और सूखी पड़ी धरती को नवीन जीवन ही मिल गया हो | धरती रूपी सुंदरी के रोमों की पंक्ति की तरह हरी घास भी मुसकाने लगी तथा खुशियों से भर उठी | पहली बूंद कुछ इस तरह धरती पर आई , जिसका खूबसूरत एहसास और परिणाम धरती को मिला ।

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