भावार्थ लिखें
जग पुछ रहे जो जग की गाते
मैं अपने मान का गान किया करता हूं
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भावार्थ लिखें
जग पुछ रहे जो जग की गाते
मैं अपने मान का गान किया करता हूं
भावार्थ : कवि हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित ‘आत्मपरिचय - एक गीत’ नामक कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवि कहना चाहता है कि जो संसार के लोगों के कहे अनुसार चलते हैं, लोग उन्हीं को पूछते हैं अर्थात इस संसार के लोगों की आदत यह है कि वह उन्हीं लोगों को पूछते हैं, जो संसार के अनुसार चलते हैं। वे उन्हीं लोगों का गुणगान करते हैं। कवि का कहना है कि वह अपनी इच्छा अनुसार चलता है, उसके मन में जो आता है, वह करता है। इसी कारण संसार के लोगों से उसकी जमती नहीं।
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