भावार्थ स्पष्ट कीजिए:
पान पुराना घी नया, और कुलवंती नार।
चौथी पीठ तुरंग की, चार स्वर्ग संसार ॥
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पान पुराना घी नया, और सुशीला नार ।
चौथी पीठ तुरंग की, चार स्वर्ग संसार ॥
भावार्थ - रहिमन चुप हो बैठिए, देख दिनन का फेर ।
नीके दिन पुनि आएँगे, फिरत न लागे देर ॥
उन दोहों को उद्धृत कीजिए जिनका आशय है
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